Swami Vivekananda Anmol Vachan|| स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन
Swami Vivekananda Ke Anmol Vachan [स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन] – {स्वामी विवेकानन्द – जीवनी और उपदेश} जब तक हम दूसरों पर दोष लाद सकते हैं , तब तक हम मनुष्य अपनी दुर्बलताएँ , अपनी गलतियाँ मानने को राजी नहीं होते । साधारणत : मनुष्य अपने दोषों और भूलों को पड़ोसियों पर लादना चाहता है ; यह न जमा , तो उन सबको ईश्वर के मत्थे मढ़ना चाहता है ; और इसमें भी यदि सफल न हुआ , तो फिर ‘ भाग्य ‘ नामक एक भूत की कल्पना करता है और उसी को उन सबके लिए उत्तरदायी बनाकर निश्चिन्त हो जाता है । पर प्रश्न यह है कि ‘ भाग्य ‘ नामक यह वस्तु है क्या और रहती कहाँ है ? हम तो जो कुछ बोते है , बस वही काटते हैं । हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता है । हमारा भाग्य यदि खोटा हो , तो भी कोई दूसरा दोषी नहीं ; और यदि हमारे भाग्य अच्छे हों , तो भी कोई दूसरा प्रशंसा का पात्र नहीं ।
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Swami Vivekanand Anmol vachan
विपत्ति से बढ़कर अनुभव सीखने वाला
विद्यालय आज तक नहीं खुला है।
जिस दिन आपके सामने
कोई समस्या ना आये
आप सुनिश्चित हो सकते हैं
कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका हैं।
असंभव से भी आगे निकल जाना!
“क्या तुम अनुभव नहीं करते कि दूसरों
के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं है।
बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर
द्रढता पूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चाहिए।
धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा”
लाखो मील का सफर भी
एक कदम से ही शुरू होता है बस शुरूआत होनी चाहिये….।
हाथ की लकीरों से ज्यादा खुद पर विश्वास करके देखो,
सपनों को हकीकत बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
इस दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है
जिसको समस्या न हो और दुनिया में कोई समस्या ऐसी नहीं है
जिसका समाधान ना हो।
Swami Vivekanand ke Anmol Vachan in Hindi
जो लोग अपने दुःखों या कष्टों के लिए दूसरों को दोषी बनाते हैं ( और दु : ख की बात तो यह है कि ऐसे लोगों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है ) वे साधारणतया अभागे और दुर्बल – मस्तिष्क हैं । अपने ही कर्म – दोष से वे ऐसी परिस्थिति में आ पड़े हैं , और अब वे दूसरों को इसके लिए दोषी ठहरा रहे हैं । पर इससे उनकी दशा में तनिक भी परिवर्तन नहीं होता – उनका कोई उपकार नहीं होता , वरन् दूसरों पर दोष लादने के चेष्टा करने के कारण वे और भी दुर्बल बन जाते हैं । अतएव अपने दोष के लिए तुम किसी को उत्तरदायी न समझो , अपने ही पैरों पर खड़े होने का प्रयत्न करो , सब कामों के लिए अपने को ही उत्तरदायी समझो । कहो कि जिन कष्टों को हम अभी झेल रहे हैं , वे हमारे ही किए हुए को के फल हैं । यदि यह मान लिया जाय , तो यह भी प्रमाणित हो जाता कि वे फिर हमारे द्वारा नष्ट भी किए जा सकते हैं । स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल वचन
हुनर तो सब में होता हैं फर्क बस इतना होता हैं
किसी का छिप जाता हैं तो किसी का छप जाता हैं…!!
भरोसा खुदा पर है तो जो लिखा है
तकदीर में वही पाओगे भरोसा अगर खुद पर है
तो खुदा वही लिखेगा जो आप चाहोगे
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है।
जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं ।
जीवन आपको वह नहीं देता जो आप चाहते है…
ये आपको वो देता है, जो आप काम करते है…!!
ख्वाब जिनके ऊंचे और मस्त होते हैं
इम्तिहान भी उनके जबरजस्त होते हैं।
मुश्किलों से कुछ इस तरह टक्करो,
जीतो तो भी इतिहास हारो तो भी इतिहास..।
तुमने प्रार्थना करके जिसका उत्तर पाया है , उसे अज्ञतावश तुमने सोचा है कि अन्य किसी पुरुष ने उसका उत्तर दिया है , किन्तु अनजाने में तुमने स्वयं ही उस प्रार्थना का उत्तर दिया है । तुमसे ही सहायता आई थी , किन्तु तुमने आग्रह के सहित कल्पना कर ली थी कि अन्य कोई तुमको सहायता भेज रहा है । तुम्हारे बाहर तुम्हारा साहाय्य – कर्ता और कोई नहीं है – तुम ही जगत् के स्रष्टा हो ।
…ये शब्द तुम्हारे मन के कूड़ा – करकट को भस्म कर देंगे , उससे ही तुम्हारे भीतर पहले से ही जो महाशक्ति अवस्थित है, वह प्रकाशित हो जाएगी , उससे ही तुम्हारे हृदय में जो अनन्त शक्ति सुप्त भाव से विद्यमान है , वह जग जाएगी । अब आगे swami vivekananda ke anmol vachan with image आपके लिए प्रस्तुत हैं .