Jai Shree Krishna Suprabhat Thought
Krishna suvichar में मैं आपके लिए कृष्ण द्वारा कही गयी महाभारत से जुड़े कुछ प्रेरणादायक सुविचार ले कर आया हूँ. श्री कृष्ण भगवान कहते है हम सभी मनुष्य कर्म के बंधन से बंधे हुए है, परन्तु हम मनुष्य कार्य के बंधन में बंधे हुए नहीं है. इस बात को हम सभी मनुष्य समझ नहीं पाते क्योंकि हम कर्म और कार्य के बिच भेद समझाने में गलती कर बैठते है.
कर्म और कार्य में क्या अंतर है?
हमें सबसे पहले कर्म और कार्य में क्या अंतर है? यह समझना चाहिए, कर्म का अर्थ है किसी कार्य को करना अनिवार्य है और इस कार्य से भले ही हमें लाभ हो या न हो यह कर किसी के लिए भी किया जा सकता है जैसे स्वम् के लिए, परिवार के लिए या फिर समाज के लिए यद्दपि कार्य का अर्थ यह है की, वह कार्य जिसमे स्वंम का लोभ मात्र से किया जाए जिस कार्य से समाज का उद्धार ना हो.
Best krishna suvichar In Hindi
हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है।
-भगवत गीता
Krishna suvichar भावार्थ- व्यक्ति का विस्वास ही व्यक्ति का निर्माण करता है जो व्यक्ति जिस तरह का सोच रखता है वह उसी सोच के अनुसार स्वंम का निर्माण करता है, उसका प्रकृति उसके सोच के अनुसार निर्मित होता है यदि मनुष्य प्रोकारी बनाने पर विस्वास करता है तो वह समाज में एक परोपकारी की तरह प्रसिद्द होता है यदि व्यक्ति का सोच दुराचार का होता है तो एक दुराचारी बन जाता है.
तुम मुझमे समर्पित हो जाओ
मैं तुम्हे सभी पापो से मुक्त कर दूंगा
चेतन व अचेतन ऐसा कुछ भी नहीं है
जो मेरे बगैर इस अस्तित्व में रह सकता हो
कृष्ण ज्ञान की बातें स्टेटस
तुम उस चीज के लिए शोक करते हो
जो शोक करने के लायक नहीं है .
एक बुद्धिमान व्यक्ति न ही जीवित और
न ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करता है
भावार्थ- श्रीकृष्ण भगवान कहते है की हमें किसी भी चीज के लिए शोक व्यक्त नहीं करना चाहिए क्योकि इस जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए हमें बहुत चीजो का त्याग करना पड़ेगा, बहुत सी चीजे हमें छोड़ कर चली जाएगी. यदि हम शोक प्रकट कटे रह गए तो हम अपने जीवन में आगे केसे बढ़ेंगे. हमें शोक ना करके हमें अपने कर्म को ध्यान में रखना चाहिए तथा समाज के विकास में अपना सहयोग करना चाहिए
जो व्यक्ति जिस भी देवता की पूजा करता है
मैं उसी में उसका विश्वास बढ़ाने लगता हूँ
वह जो मेरी सृष्टि की गतिविधियों को जानता है
वह अपना शरीर त्यागने के बाद कभी भी जन्म नहीं लेता है
क्योंकि वह मुझमे समा जाता है
Jai shree krishna suprabhat quotes
मैं इस धरती की सुगंध हूँ.
मैं आग का ताप हूँ और
मैं ही सभी प्राणियों का संयम हूँ .
krishna suvichar भावार्थ – श्री कृष्ण भगवान् कहते है की मैं हर जगह हूँ, मैं हर मनुष्य में वास करते हूँ, मैं हर किसी के भावनाओं में वास करता हूँ, मैं जल की धरा हूँ, तो मैं अग्नि का ताप भी हूँ, मैं मनुष्य की श्वास में और मैं आत्मा मैं भी हूँ, मैं ही यह सृष्टि हूँ, और मैं ही इस सृष्टी का रचनाकार हूँ.
जो मुझसे प्रेम करते है और मुझसे जुड़े हुए है.
मैं उन्हें हमेशा ज्ञान देता हूँ
krishna suvichar भावार्थ- भगवान् कृष्ण जी कहते है की जो भो व्यक्ति इस संसार का मोह बंधन छोड़ कर मुझसे प्रेम करता है अर्थात मेरी आराधना करता है मेरी तपस्य करता मैं सदैव उस मनुष्य का साथ देता उसे सही मार्ग पर चलने का ज्ञान देता हूँ मैं सदैव उसके साथ रहता हूँ.
सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान
मृत्यु से भी बदतर होती है
इस जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं होता है .
वासना, गुस्सा और लालच
नरक जाने के तीन द्वार है .
प्रसन्नता का कोई मार्ग नहीं है:- प्रसन्नता ही मार्ग है
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