Vivekanand ke Vichar || स्वामी विवेकानंद के वाक्य
स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार क्या है– ( vivekananda suvichar ) उपनिषदों का प्रत्येक पृष्ठ मुझे शक्ति का सन्देश देता है । यह विषय विशेष रूप में स्मरण रखने योग्य है , समस्त जीवन में मैने यही महाशिक्षा प्राप्त की है – उपनिषद् कहते हैं , हे मानव , तेजस्वी बनो , वीर्यवान बनो . दुर्बलता को त्यागो । मनुष्य प्रश्न करता है , क्या मनुष्य में दुर्बलता नहीं है ? उपनिषद् कहते हैं, अवश्य है , किन्तु अधिक दुर्बलता द्वारा क्या यह दुर्बलता दूर होगी ? क्या तुम मैल से मैल धोने का प्रयत्न करोगे ? पाप के द्वारा पाप अथवा निर्बलता द्वारा निर्बलता दूर होती है ? उपनिषद् कहते हैं, हे मनुष्य , तेजस्वी बनो, वीर्यमान बनो, उठकर खड़े हो जाओ.
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swami vivekanand vichar
बुरी आदतें अगर वक्त पर नहीं बदली जाये,
तो वह आदतें आपका वक्त बदल देगी
अगर ढूंढना ही है तो परवाह करने बालो को ढूँढ़िये,
क्योंकि इस्तेमाल करने बाले तो खुद आपको ढूंढ ही लेंगे।
कदर तो किरदार की होती है,
असल, में वही जीवन की चाल समझता है
जो सफर में धूल को गुलाल समझता है।
आप अपने जीवन में उस व्यक्ति से मत डरना
जो आपसे बहस करता है,
बल्कि उस व्यक्ति से डरना जो आपसे छल करता है।
अपने जीवन को उस तालाब की तरह बनाओ,
जहाँ शेर भी पानी पिए और बकरी भी पानी पिए,
पर सिर झुका कर पिए।
ढलना तो एक दिन हैं
सभी को चाहे इंसान हो या सूरज
मगर हौसला सूरज से सीखो
रोज़ ढल के भी हर दिन उम्मीद से निकलता हैं।
Vivekananda suvichar || स्वामी विवेकानंद के वाक्य
महावीर के चरित्र को ही तुम्हें इस समय आदर्श मानना पड़ेगा । महाजितेन्द्रिय , महाबुद्धिमान , दास्य भाव के उस महान् आदर्श से तुम्हें अपना जीवन गठित करना होगा । वैसा करने फिर दूसरे भावों का विकास स्वयं ही हो जाएगा । दुविधा छोड़कर गुरु की आज्ञा का पालन और ब्रह्मचर्य की रक्षा — यही है सफलता का रहस्य ! नान्य पन्थाः विद्यतेऽयनाय -अवलम्बन करने योग्य और दूसरा पथ नहीं । एक ओर हनुमान जी के जैसा सेवाभाव और दूसरी ओर उसी प्रकार त्रैलोक्य को भयभीत कर देने वाला सिंह जैसा विक्रम !
करनी है कोशिश तो तो ऐसी करो की
हारते-हारते कब जीत जाओ पता भी ना चले।
संघर्ष ही आपके जीवन का परिचय है
हर व्यक्ति जन्म से ही चैम्पियन होता है
बस खुद को पहचानने की देरी है।
पिता हमेशा नीम के पेड़ जैसा होता है
जिसके पत्ते भले ही कड़वे हो लेकिन छाया हमेशा ठंडी देता है।
इंसान के आने की खबर तो नो महीने पहले ही लग जाती है,
पर उसके जाने का पता नो सेकेण्ड पहले भी नही चलता।
“जैसा तम सोचते हो,
वैसे ही बन जाओगे।
खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और
सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे..।