Ruthne wali shayari रूठ जाने पर शायरी ruthne wala shayri.
प्यार करना ही जिन्दगी है, प्यार ही है जो हम इंसानों को जीने की वजह देता है, प्यार के बिना यह जिन्दगी अधुर है. परन्तु एक समय ऐसा भी आता है जिस समय हमारे अपने के प्यार के बिच एक टूट पड़ जाती है जिसके करण कोई एक रूठ जाता है. ऐसे ही समय के लिए मैं आपके लिए Ruthne wali shayari ले कर आया हूँ जिसे आप रूठे हूँ को भेज सकते हो.
Ruthne wali Shayari
ना जाने सारी खुशियाँ क्यों रूठ सी गयी हैं मुझ से
इस ज़िंदगी को भी किसी की नज़र लग जाये अब
Ruthne wala shayri in hindi
आज मुझसे पूछा किसी ने कयामत का मतलब,
और मैंने घबरा के कह दिया रूठ जाना तेरा.
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बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से,
हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से,
तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले,
कोई बिखर गया है तेरे रूठ जाने से.
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रूठी बेग़म उड़ते बर्तन सब नज़ारे देखेंगे
चांद घर में लाने वाले दिन में
तारे देखेंगे
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ज़िन्दगी यूं भी तो कम है मोहब्बत के लिए
यूं रूठ के वक़्त गुजारने की ज़रूरत क्या है
Ruthne wali shayari in hindi
गुलाब को क्या गुलाब दूं मै
क्या दूं गुलाब मै उसको
जो खुद एक गुलाब सा है
होंठ जिसके गुलाबो की पंखुड़ी जैसी
नजरे जिसकी मानो गुलाब के कांटे
बोले तो मिठास जैसे गुलाब की सुंगध हो
रूठे तो खटास जैसे गुलाब की पत्तिया हो
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किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।
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कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं,
दिल भर जाता है तो लोग रूठ जाया करते हैं।
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मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा
मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हुआ हालात मेरा
जब तुम रूठ के जाते हो
दु:ख मिलने आ जाते हैं
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कभी रूठा हुआ सा रहता है, कभी खुद ही मान जाता है…!!
🌷🍃
*अजीब हमसफर है मेरा भी, मुझसे ही नजरें चुराता है…!!!!*
💔
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एक अधूरा सा ख्वाब कभी पलको पर सजाने दे
इतना क्यो रूठी है जिन्दगी कभी मुझे नजदीक आने दे
Ruthne wali shayari |
मैं दिल हू तुम सांस हो मेरी
मैं जिस्म हु तुम जान हो मेरी
मैं चाहत हु तुम ख्वाहिश हो मेरी
मैं नशा हु तुम आदत हो मेरी
आखिर कैसे करूँ मैं तारीफ उसकी
एक शब्द से शुरू कर तो बाकी रूठ जाते है
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कुछ ना बचा मेरे इन, दो खाली हाथों में,
एक हाथ से किस्मत रूठ गई,
तो दूसरे हाथ से मोहब्बत छूट गई।।
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नज़र ना आया फिर ख्वाबों में भी कभी,
रूठने वाला मुझसे इस हद तक रूठ गया…
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कमी हजार है मुझमें और झूठा भी हूं
मैं खुश भी खुद से हूं और रूठा भी हूं
रब भी तो रूठा है मुझसे शायद
अब मैं उसे मांगू भी तो किस से
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चलो तुम रूठ जाया करो बेवजह मुझसे
मैं तुम्हे मनाने की कोशिश करूँगा
किया करो यूं मुझ पर सितम भी हर रोज
मैं हर सितम पर, ठहर जाने की कोशिश
करूँगा
याद नहीं करती हो तो अजीब सा लगता
है मुझे हर पल अब
चला जाऊंगा दुनिया से तो शायद तुम्हारी
यादों में आने की कोशिश करूँगा